जिसको जो मिला है, वो मुर्शिद ऐ क़ामिल औलिया अल्लाह सल्फ सुआलेहींन के सदके में ही मिला है।
जिसको जो मिला है, वो केवल पीर औलिया सल्फ सालेहींन के सदके में ही मिला है। यही अक़ीदा और यकीन सुल्तानुल हिंद ख़्वाजा मुईनुद्दीन हसन संजरी चिश्ती रदि अल्लाहु ताला अन्हु का भी है।
ये बात आसमान में सूरज की मानिंद रोशन और हक़ है। सल्फ सुआलेहींन, औलिया ऐ कामेलीन के कौल है और अहले तसव्वुफ़ का अहले मारिफ़त का ये यकीन है की इस रूए ज़मी पर अल्लाह की मख़लूक़ में जिसको, जो अता होता है या होगा उसको तक़सीम करने वाले आक़ा पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जात है, और जो इस निज़ाम के मालिक और मुख़्तार हैं और तमाम औलिया ऐ कामेलीन इस निज़ाम में लगे हुए हैं और वो अहलेबैत औलिया ऐ कामेलीन कि ज़मात है।
अहलेबैत, की जात ऐसे निज़ाम पर कायम है जिसमें इस रूये ज़मीन पर जो भी शेय मौज़ूद है वो सब इन्ही के तव्वससुल से पाते हैं, और आपकी ज़ात के मोहताज़ है वो चाहै सज़र हज़र, चरनद, परिंद, नबातात, हेबातात, जानदार, या बेज़ान हो, कुल मख़लूक़, जो ज़मीन पर फ़ाइज़ है आपके फ़ज़लों- करम, रहम के मोहताज़ है।
ये बहुत ख़ाश बात है कि दुनिया मे जिसका जो भी मुरीद है उसे अब जो कुछ भी अता होगा वो केवल उसके पीर की जात होगी मुरीद की पीर से जैसी अक़ीदत, मोहब्बत होगी उसी की हस्बे नियत दींन और दुनिया में उसको हिस्से अता होंगे, और उसे उसका हिस्सा दींन ओ दुनिया में मिलता रहेगा, वो चाहे दुनिया के किसी भी हक़ सिलसिले में दाखिल हो यानी उसे जो भी मिलना होगा वो उसके अपने पीरे क़ामिल, मुर्शिद के तव्वससुल से अता किया जाएगा।
आक़ा मुस्तफ़ा करीम पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया की "अल्लाह पाक ने मुझे जिब्रील अलैहिस्सलाम के ज़रिए जमीनों आसमान के ख़ज़ाने की चाबियाँ अता फरमायी है बस वो अतः करता है मैं तक़सीम करता हूँ।"
इस तक़सीम में आप का निज़ाम है, जिसमें सभी औलिया का एक मनसब है मकाम है, बुलंदी है जो इनसे नेक नियत से जुड़ जाता है वो फला पा जाता हैं, दोनों जँहा में कामयाब हो जाता है।
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व बा बारिक वसल्लम 🌹
सिलसिला-ए-आलिया रईसी ख़ुशहालिया
तालिबे इल्म
शादाब अनवर_रईसी
Comments
Post a Comment